बैंकों में कम हो रहे पैसे: डिपॉजिट ग्रोथ में गिरावट से बढ़ी मुश्किलें?

भारतीय बैंकों में नकदी संकट: डिपॉजिट ग्रोथ में गिरावट से बढ़ी मुश्किलें: देश के बैंकिंग सेक्टर में लिक्विडिटी संकट गहराता जा रहा है। बैंकों में जमा की वृद्धि दर लगातार धीमी हो रही है, जिससे देश के वित्तीय सिस्टम में नकदी की भारी कमी देखने को मिल रही है।

मुख्य बिंदु:

  • बैंकों में नगदी संकट: लोन ग्रोथ के मुकाबले जमा की दरों में गिरावट के चलते बैंकों के पास नकदी की कमी हो रही है।
  • लिक्विडिटी का स्तर: अगस्त की शुरुआत में बैंकिंग प्रणाली में 2.56 लाख करोड़ रुपए की नकदी थी, जो अगस्त के अंत तक घटकर 0.95 लाख करोड़ रुपए रह गई।
  • वित्त मंत्री और आरबीआई की चिंता: वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण और आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने बैंकों से जमा को बढ़ाने के लिए नए उपाय करने की अपील की है।
  • कैश की कमी का कारण: ग्राहकों के निवेश व्यवहार में बदलाव, कैपिटल मार्केट, म्यूचुअल फंड, पेंशन फंड और इंश्योरेंस फंड की ओर लोगों का बढ़ता रुझान बैंकों की जमा में कमी का कारण बन रहे हैं।

बैंकिंग संकट: नकदी की कमी के कारण

हाल ही में यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ कि अगस्त महीने में बैंकिंग सिस्टम में नगदी की भारी कमी देखने को मिली। 2 अगस्त को बैंकिंग प्रणाली में 2.56 लाख करोड़ रुपए की नकदी थी, जो 28 अगस्त तक घटकर 0.95 लाख करोड़ रुपए रह गई। यह गिरावट देश की आर्थिक गतिविधियों को प्रभावित कर सकती है।

सरकार और आरबीआई की प्रतिक्रिया

इस नकदी संकट को देखते हुए वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण और आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने बैंकों से जमा को बढ़ाने के लिए नए कदम उठाने की अपील की है। वित्तमंत्री ने बैंकों से कहा है कि वे कुछ इनोवेटिव और आकर्षक पोर्टफोलियो तैयार करें ताकि लोग फिर से बैंकों में पैसा जमा करने को प्रोत्साहित हों।

जमा में गिरावट के कारण

आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने पहले ही बताया था कि बैंकों में जमा में कमी आने का एक बड़ा कारण ग्राहकों के निवेश व्यवहार में बदलाव है। पहले आम लोग बैंकों में ही पैसे जमा करना सुरक्षित समझते थे, लेकिन अब उनका रुझान कैपिटल मार्केट, म्यूचुअल फंड, पेंशन फंड और इंश्योरेंस फंड की ओर बढ़ रहा है। इससे बैंकों की जमा राशि में कमी आ रही है।

संकट से बाहर निकलने के उपाय

वित्त मंत्रालय और आरबीआई इस स्थिति को सुधारने के लिए बैंकों पर दबाव डाल रहे हैं कि वे नए और आकर्षक विकल्प लेकर आएं। इसके साथ ही, बैंकों को अपनी लोन ग्रोथ और डिपॉजिट ग्रोथ के बीच का अंतर संतुलित करने के लिए कदम उठाने होंगे।

FAQs:

1. नकदी संकट का बैंकों पर क्या असर पड़ेगा?

बैंकों में नकदी की कमी से लोन देने की क्षमता प्रभावित हो सकती है, जिससे आर्थिक गतिविधियों पर असर पड़ सकता है।

2. बैंकों में जमा की कमी का मुख्य कारण क्या है?

ग्राहकों के निवेश व्यवहार में बदलाव और म्यूचुअल फंड, कैपिटल मार्केट, पेंशन फंड और इंश्योरेंस फंड की ओर उनका रुझान जमा में कमी का मुख्य कारण है।

3. सरकार और आरबीआई की क्या प्रतिक्रिया है?

वित्तमंत्री और आरबीआई गवर्नर ने बैंकों से जमा को बढ़ाने के लिए नए इनोवेटिव कदम उठाने की अपील की है।

4. क्या इस स्थिति का आम आदमी पर कोई असर पड़ेगा?

हां, नकदी की कमी से बैंकों की लोन देने की क्षमता प्रभावित हो सकती है, जिससे कर्ज की उपलब्धता पर असर पड़ेगा और इससे ब्याज दरों में भी बदलाव हो सकता है।

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