Cibil Score को लेकर सरकार का नया नियम, अब 15 दिन के अंदर होगा अपडेट?

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने सिविल स्कोर अपडेट की प्रक्रिया में बदलाव किया है। पहले जहां सिविल स्कोर हर महीने अपडेट होता था, अब इसे हर 15 दिन में अपडेट किया जाएगा। इससे बैंकों और ग्राहकों दोनों को लाभ होगा क्योंकि लोन की जानकारी तेजी से अपडेट होगी, जिससे बैंकों को ऋणों की चुकता होने की संभावना में कमी आएगी और ग्राहकों को लोन जल्दी मिल सकेगा।

सिबिल स्कोर कैसे है बैंक क्यों चेक करते हैं?

दोस्तों, आपको पता होगा जब भी हम बैंक से लोन लेने जाते हैं, तो हमारा सिविल स्कोर बैंकों के द्वारा चेक किया जाता है, क्योंकि सिविल स्कोर एक व्यक्ति की फाइनेंशियल रेपुटेशन बताता है कि यह व्यक्ति बैंक लोन कितनी आसानी से चुका सकता है, चुका भी पाएगा या नहीं. सीधे अपने आम बोलचाल की भाषा में कहें, तो व्यक्ति का लेनदेन कैसा है, यह उधार वापस दे सकता है या नहीं।

आपको पता होगा जब भी हम मार्केट में भी किसी को पैसे उधार देते हैं, तो उसकी रेपुटेशन चेक करते हैं कि सोसाइटी में, समाज में उसकी रेपुटेशन कितनी है।

मतलब उसकी लेनदेन अगर अच्छी नहीं है, दोस्तों में, समाज में, परिवार में, अगर उसके पैसों के लेनदेन के मामले में वैल्यू खत्म हो चुकी है, रेपुटेशन डाउन हो चुकी है, तो फिर उस व्यक्ति को कोई उधार नहीं देता है. सिंपल यही होता है। तो ठीक ऐसे ही बैंकों में भी सिस्टम लागू होता है कि व्यक्ति का सिविल स्कोर चेक किया जाता है,

जो यह दर्शाता है कि आपने मान लीजिए पिछला कोई लोन लिया, समय पर चुकाया कि नहीं, उसकी किस्त समय पर भरी कि नहीं. अगर आपका सिविल स्कोर खराब हो गया, तो बैंक आपको लोन आसानी से नहीं देते हैं.

और अगर देते भी हैं, तो उस पर बहुत ही ज्यादा हाई इंटरेस्ट रेट यानी ब्याज दरें बहुत ज्यादा देनी पड़ती हैं. तो अब आप समझ गए होंगे कि सिविल स्कोर क्या होता है, और बैंक क्यों चेक करते हैं. अब समझिए, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की तरफ से सिविल स्कोर के नियमों में बदलाव किया गया है।

लोन लेने से पहले क्या जरूरी है?

अगर आप भी लोन लेने जा रहे हैं, तो यह जरूर जान लें, वरना आपको कुछ दिक्कत हो सकती है. सिविल स्कोर को क्रेडिट स्कोर भी कहा जाता है, और यह कर्ज लेते वक्त इसकी अहमियत काफी ज्यादा बढ़ जाती है.

अगर आपका क्रेडिट स्कोर अच्छा है, और आप इससे जुड़े बाकी पैमानों पर भी खरे उतरते हैं, तो फिर आपको झटपट लोन मिल जाता है. बैंक आनाकानी नहीं करते हैं, लेकिन जैसा कि मैंने आपको बताया, क्रेडिट स्कोर खराब होने पर कर्ज या क्रेडिट कार्ड मिलने में भी काफी दिक्कत होती है।

अगर आपका सिविल स्कोर खराब है, तो क्रेडिट कार्ड भी आसानी से नहीं मिलेगा. आपको पर्सनल लोन भी नहीं मिलता है. बैंक फिर लोन देंगे, तो या तो आपको कार लोन मिलेगा, या आपको आपकी प्रॉपर्टी के अगेंस्ट में होम लोन वगैरह मिल जाएगा.

वो भी हाई इंटरेस्ट पर. कई बार तो बैंक या एनबीएफसी सीधे मना ही कर देते हैं कि हम नहीं दे पाएंगे. अब देखिए, भारतीय रिजर्व बैंक यानी कि आरबीआई की तरफ से क्रेडिट स्कोर को लेकर बैंकों और वित्तीय कंपनियों के लिए एक नया नियम जारी किया गया है।

खुद आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास की तरफ से यह ऐलान किया गया है. आइए देखते हैं दोस्तों, कि यह नया नियम क्या है, और इससे बैंकों के ग्राहकों पर क्या प्रभाव पड़ सकता है. तो पहले जो पुराना अभी मौजूदा नियम है, उसके मुताबिक आपका सिविल स्कोर या क्रेडिट स्कोर हर एक महीने में अपडेट होता है.

ठीक है, हर महीने के हिसाब से आपकी सिविल कम या ज्यादा होती है, अप या डाउन होती है, लेकिन, लेकिन, लेकिन अब इसे 15 दिन में ही अपडेट करना होगा. सभी बैंकों और एनबीएफसी यानी कि नॉन बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनीज को आरबीआई की तरफ से यह निर्देश जारी कर दिया गया है कि हर 15 दिन में हर व्यक्ति का, हर ग्राहक का सिविल स्कोर अपडेट करो. इससे बैंक और ग्राहक दोनों को फायदा होगा।

वो कैसे समझिए, क्योंकि क्रेडिट स्कोर हर 15 दिन में अपडेट होगा, तो बैंक या एनबीएफसी जो कंपनियां होंगी, उन्हें हर दो सप्ताह में ग्राहकों की क्रेडिट जानकारी भेजनी होगी.

जैसे कि उन्होंने समय पर कर्ज चुकाया या नहीं, क्रेडिट इंफॉर्मेशन कंपनियां जो सीसीआई हैं, उनको भेजनी होगी. तो सीसीआई उस जानकारी को तेजी से अपडेट करेगी. तो इससे बैंक और ग्राहक दोनों को फायदा कैसे होगा? समझ गए हो आप. आपको लोन भी जल्दी से मिल पाएगा, और बैंकों का लोन डूबने की संभावना भी कम हो जाएगी।

क्योंकि एक तो एक महीने में ग्राहक के बारे में पता चलेगा कि यार आदमी कैसा है, पैसे टाइम पे देता कि नहीं देता. आपको ये बात एक महीने बाद पता चले और मान लीजिए ये बात आपको 15 दिन में ही पता चल जाए.

तो हो सकता है, की आप किसी को 5 हजार उधार देने वाले थे, तो 2 हजार ही दिए, बाकी 3 हजार बच गए आपके. ठीक ऐसे ही बैंकों के भी पैसे एनपीए में ज्यादा नहीं जाएंगे, मतलब डिफॉल्ट कम होंगे. ग्राहक के लोन 15 दिन के अंदर ही ग्राहक की रेपुटेशन का पता चल जाएगा, उसकी सिविल कैसी है, उसकी लेनदेन कैसी है।

तो इससे बैंकों का पैसा डूबने का जोखिम यानी कि रिस्क भी कम हो जाएगा। तो उम्मीद है दोस्तों, सिविल स्कोर को लेकर ये छोटी सी जानकारी आपको जरूर जानने मिली होगी. मैंने आपको रियल लाइफ एग्जांपल देकर भी समझाया.

और अभी भी अगर आपके मन में इससे संबंधित कोई सवाल है, तो बिल्कुल बेजिझक मुझे नीचे कमेंट करके पूछिएगा. बाकी इस वीडियो को लाइक और शेयर करना. डीएलएस न्यूज़ चैनल को सब्सक्राइब करके बेल आइकॉन जरूर दबा देना, ताकि आप रोजाना ऐसी इंफॉर्मेशन और काम की खबरें देखते रहें. जय हिंद, जय भारत, वंदे मातरम.

कुछ जरूरी प्रश्न (FAQ)

सिविल स्कोर क्या है?

सिविल स्कोर एक तीन अंकों का आंकड़ा है जो आपकी क्रेडिट हिस्ट्री और वित्तीय व्यवहार को दर्शाता है। यह बैंकों और वित्तीय संस्थानों को यह तय करने में मदद करता है कि वे आपको लोन दें या नहीं।

सिविल स्कोर का महत्व क्या है?

एक अच्छा सिविल स्कोर लोन की स्वीकृति को आसान बनाता है और कम ब्याज दरों पर लोन मिल सकता है। एक खराब सिविल स्कोर लोन मिलने में कठिनाई और उच्च ब्याज दरों का कारण बन सकता है।

भारतीय रिजर्व बैंक ने सिविल स्कोर अपडेट की प्रक्रिया में क्या बदलाव किया है?

अब सिविल स्कोर हर महीने के बजाय हर 15 दिन में अपडेट किया जाएगा, जिससे बैंकों और ग्राहकों दोनों को ताजगी से अद्यतन जानकारी प्राप्त होगी।

इस बदलाव से बैंकों को क्या लाभ होगा?

बैंकों को ग्राहक की वित्तीय स्थिति की ताजगी से जानकारी मिलेगी, जिससे लोन डिफॉल्ट की संभावना कम होगी और ग्राहकों के बारे में अधिक सटीक जानकारी प्राप्त होगी।

इस बदलाव से ग्राहकों को क्या लाभ होगा?

ग्राहकों को लोन और क्रेडिट कार्ड की स्वीकृति में तेजी मिल सकती है क्योंकि उनकी सिविल स्कोर की जानकारी अधिक नियमित रूप से अपडेट होगी।

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now

Leave a Comment