EPF Kya hai- ईपीएफ क्या है। ईपीएफ की पूरी जानकारी

अधिकतर लोगों को यह नहीं पता है कि EPF kya hai तो दोस्तों सलीम आज बात करते हैं इपीएफ के बारे में ईपीएफ क्या है इपीएफ कैसे मिलता है।

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ईपीएफ क्या है। EPF kya hai

चलिए बात कर लेते हैं ईपीएफ क्या है (EPF kya hai) यदि आपको नहीं पता है तो जान लीजिए कि ईपीएफ यानी कि कर्मचारी पेंशन स्कीम जिसे इंग्लिश में एम्पलाइज प्रोविडेंट फंड भी कहा जाता है या इसे कर्मचारी भविष्य निधि कह सकते हैं।

इसे सन् 1995 में हुआ था जिसे फैमिली पेंशन स्कीम की जगह लाया गया था प्राप्त जानकारी के मुताबिक इसमें कर्मचारी के मासिक इपीएफ (अधिकतम वेतन ₹15000) योगदान के 8.33%  (अधिकतम 1250 रुपए) के अलावा सरकार की तरफ से भी 1.77% योगदान होता है।

जिसका उद्देश्य कर्मचारी को 20 साल की नौकरी अथवा 58 साल की उम्र में रिटायर होने पर पूर्ण पेंशन यहां फिर 20 साल की नौकरी किंतु 58 साल से कम उम्र में नौकरी जाने पर सेवा निवृत्ति पेंशन या अस्थाई पूर्ण विकलांगता पेंशन या 10 साल से अधिक किंतु 20 साल से कम अवधि तक सेवा पर अल्प सेवा पेंशन प्रदान करना है।

ईपीएफ कब नहीं काटा जाता है।

यदि किसी कर्मचारी के वेतन से ईपीएफ की कटौती नहीं की जा रही है। तो उसके लिए हम आपको बता दें कि क्यों नहीं कट रहा है इसके दो ही कारण हो सकते हैं।

पहला कारण-जब किसी प्रतिष्ठान में 20 से कम पंप कर्मचारी हो तो वहां पर पीएफ कटौती आवश्यक नहीं है तो इसलिए पीएफ की कटौती नहीं की जाती है।

दूसरा कारण- यदि किसी प्रतिष्ठान में 20 से अधिक कर्मचारी हैं और तब ईपीएफ नहीं कट रहा है तो और सभी कर्मचारियों का मूल वेतन एवं महंगाई भत्ता जिसे डीए कहते हैं दोनों मिलाकर ₹15000 मासिक से अधिक है और इन सब ने फॉर्म 11 भरकर इपीएफ से बाहर रहने का निर्णय लिया है तो ऐसी दशा में कोई कटौती नहीं होती है।

ऐसा क्या करें कि हमारा ईपीएफ ना काटे और हमें पूरा वेतन मिले

यदि आपकी कोई जॉब कर रहे हैं और चाहते हैं कि हमारे ईपीएफ ना कटे और ईपीएफ का पूरा पैसा हमारे वेतन में जुड़ कर आए तो तो ऐसा हो सकता है कंपनी के द्वारा इसी सुविधा दी जाती है। लेकिन उसके लिए किसी कर्मचारी का वेतन और डीए दोनों मिलाकर ₹15000 से अधिक है तो वह फॉर्म 11 भर कर खुद को सबसे अलग रखने के लिए आवेदन दे सकता है।

हालांकि गौर करने वाली बात यह है कि ऐसा कोई भी विकल्प नौकरी शुरू करने वक्त की ही चुनना होगा मेरे कहने का मतलब यह है कि जब आप नौकरी को ज्वाइन करते हैं और पीएफ अकाउंट लाते हैं तो उसी वक्त आपको फॉर्म 11 अप्लाई करना होगा। यदि आप एक बार भी पीएफ का योगदान कर देते हैं तो उसके बाद आप फोन 11 को घर नहीं सकते इसीलिए आपको पीएफ अकाउंट ओपन करवाने से पहले ही फॉर्म 11 भी अप्लाई करना होता है

ईपीएफओ अप्लाई ना करूं तो क्या होगा।

ऐसे तो ईपीएस सभी के लिए आवश्यक और अनिवार्य है यदि आप ईपीएफ में योगदान नहीं रखते हैं तो में दिया पीपीएफ में योगदान नहीं रखते हैं तो आपका ईपीएफ करता रहेगा वेतन में से और आप उसका पैसा भी नहीं मिल पाया इपीएफ अनिवार्य होता है इसको आपको जरुर करवा देना चाहिए।

नौकरी बदलने पर भी ईपीएफ रहता है या नहीं

सवाल है कि यदि किसी कर्मचारी ने कई नौकरियां बदले जिसके चलते उसे ही पीएफ नंबर भी याद नहीं है तो क्या उसे ईपीएफ मिलेगा जवाब हुआ क्यों नहीं मिलेगा क्योंकि ईपीएफ एक बार बन जाने के बाद वह सभी वेतन में काम करेगा उसे आप किस कंपनी में काम कर रहे हैं इसके छोड़ने के बाद किसी अदर कंपनी में जाएंगे तो वहां भी आपको उसी पीएफ के नंबर पोर्टल से होटल में आपका पैसा कटेगा

ईपीएफ कब निकाल सकते हैं

जी हां अब आप ईपीएफ को निकाल सकते हैं। उसके लिए आपको यह निम्नलिखित ऑप्शन को चुनना होगा। ईपीएफ की निकासी के लिए आपको फॉर्म 31 भर कर जमा करना होगा

इसके लिए आपको फोन में यह बताना होगा कि आप जगह है मकान प्लाट खरीदने या किसी एजेंसी से मकान बनवाने या हाउसिंग लोन अदा करने के लिए और दूसरा अपने बेटे बेटी भाई बहन की शादी के लिए निकाल रहे हैं।

क्या किसी भी पीएफ की निकासी पर टैक्स लगता है।

यदि कर्मचारी ने 5 साल से कम अवधि का योगदान किया है तथा धारा 80 सी के तहत पर लाभ प्राप्त किया है तो निकाले गए पिया पर पिछले 4 साल के अवसर टैक्स ब्रैकेट स्लैब के अनुसार टैक्स लगेगा।

क्या इपीएफ निकासी के लिए क्या न्यूनतम 6 माह का योगदान जरूरी है

नहीं क्योंकि यह अपने योगदान की कई छोटी से छोटी राशि भी निकाली जा सकती है एक अन्य पूरक सवाल कि यह 6 महीने से कम योगदान करने पर कर्मचारी पेंशन स्कीम में जमा राशि जप्त हो जाएगी जब आप वहां केवल 6 महीने से अधिक और साडे 9 साल तक बीएफ में योगदान होने पर ही उसे निकाला जा सकता है अन्यथा नहीं

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